तेरी तकदीर में तुम नहीं थे
मेरी तकदीर में तुम नहीं थे,दोष इसमें तुम्हारा नहीं है,
मैने मन्नत भी मांगी खुदा से रव को मिलना गवारा नहीं है ,,,,,
मेरी तकदीर में तुम नहीं थे ,,,,,
मैने पूछा इस काली ☁घटा से क्यों चांद ? शर्मके छुप गया है, बोले बिखरी हुई है जुल्फे मेरी हमने इनको सवारा नहीं है ,,,,,,,,,
मेरी तकदीर में तुम नहीं थे ,,,
मारा गलत फहमियो ने उनको गीत गैरों का गाने लगे है ,
मेरा दिल आपका आइना था,
आज वो भी हमारा नहीं है ,,,,
मेरी तकदीर में तुम नहीं थे
पूजा तुम ही आराधना हो ,आज भी साधना कर रहा हूं ,मन के मंदिर के तुम खुदा थे, उस खुदा को पुकारा नहीं है ,
मेरी तकदीर में तुम नहीं थे,,,,
याद करते है गुजरे दिनों की साथ रहने के वादे किए थे ,,
रूह में तुम वसे हो तन हमारा गवारा नहीं है ,,,
मेरी तकदीर में तुम नहीं थे दोष इसमें तुम्हारा नहीं है।
मेरी तकदीर में तुम नहीं थे दोष इसमें तुम्हारा नहीं है।।