तेरी जुस्तजू
सारी रातें बस तेरी जुस्तजू में गुज़र रही हैं!
इस ही कश्मकश में ये ज़िन्दगी गुज़र रही है!
याद करते भी हैं कि नहीं क्या मालुम हमको!
सामने आते हैं तो पुछते हैं कैसी गुज़र रही हैं!
आरज़ु ही नही मुझको सब कुछ हो पास मेरे!
दी खुदा ने ज़िंदगी बस हँस कर गुज़र रही हैं!
नहीं पिलाते अब वो नशा अपनी आँखो से!
अब तो साकी तेरे ही मैखाने में गुज़र रही हैं!
इल्म ज़ब होगा कि जाना है किधर हमको!
हाय….बस तब तक तो यू ही गुज़र रही हैं !
? – Anoop S
21 Oct 2019