#गीत//तेरी जुदाई में
मीठी-मीठी तेरी बातें,
वो रस कहाँ मिठाई में।
सुनने को तरस गया हूँ मैं,
ज़ालिम आज जुदाई में।।
याद हवा का झोंका बनके,
आती यार तन्हाई में।
ज़ुल्फ़ें मेरी सहला जाती,
देकर प्यार तन्हाई में।
जहाँ देखता तू ही दिखती,
कैसी अज़ब तन्हाई है।
कैसे भूलूँ तू बैठी है,
इस दिल की गहराई में।
शीघ्र लौट कर तुम आओगी,
देता तर्क सफ़ाई में।
उम्मीदों की लगी झड़ी है,
दिल सावन परझाई में।
सोते जगते तेरी बातें,
ऐसे कटते दिन रातें।
तेरी यादें मरहम-सी हैं,
पैरों फटी बिवाई में।
जुदा हुए यार मिलेंगे भी,
मन का छोर भलाई में।
गूँजेंगे अपने नग़में भी,
फूलों खिली तराई में।
आशाओं का साथ न छोड़ें,
दिल के ज़ज्बात न छोड़ें।
मेघ बरसने ही आते हैं,
देखो जून जुलाई में।
#आर.एस.’प्रीतम’