तेरी जन्नत के मयखानों में
बारिश की बूंदें
तेरे तन की चिकनी डाली पर
ठहर नहीं रही
एक एक करके सरक रही
बारिश की एक बूंद
तेरे होठों के गुलाब पर
बैठ गई
किसी भंवरे की तरह
यह चिपक गई तेरे
शहद में भीगे
रसीले लबों से
एक महकते फूलों के उपवन की
लाली इसे
जमीन की एक सुंदर जगह
तेरी जन्नत के मयखानों में भी
कहीं मिल गई।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001