*** तेरी खुशबू आती है ***
15.1.17 सन्ध्या 6.00
हर हर्फ़ से तेरी खुशबू आती है
हर हर्फ़ से तूं सितम ढाती है
ये कमज़ोर दिल इंसान क्या करें
ना तेरी सुबह ना शाम आती है।।
?मधुप बैरागी
15.1.17 सन्ध्या 6.00
हर हर्फ़ से तेरी खुशबू आती है
हर हर्फ़ से तूं सितम ढाती है
ये कमज़ोर दिल इंसान क्या करें
ना तेरी सुबह ना शाम आती है।।
?मधुप बैरागी