तेरी खट्टी मिट्ठी यादें
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❆ काव्य सृजन –
❆ विषय – तेरी खट्टी मिट्ठी यादें
❆ तिथि – 05 दिसम्बर 2018
❆ वार – बुधवार
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▼ विषय अनुसार रचना
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याद है अब तक मुझे तेरे-मेरे बचपन के वो घिसे-पिटे इरादे।
कोई अकड़े-लड़े दोनों में किसी से परस्पर मिल सिट्टी-पिट्टी गुम करवादे।
गिट-पिट,खिच-खिच,चिक-चिक भूले से भी न भूलें पक्के-रिश्ते के वादे।
कोई तो हो ऐसा जो वो खट्टी-मीठी ईमली, नारंगी की गोलियां लादे।
या फिर वो पानी-पूरी, दही-बड़े, लिट्टी-चौखा भेल-पुरी ही खिलवादे।
वो कभी किसी भी सूरत में न पूरी हो सकने वाली असंभव मुरादें।
अनायास ही जब जी करता था हम यूँ ही इकदूजे को बहलादें।
करते थे ख्वाबों सी बातें तोड़कर के तेरे लिए हम चाँद-सितारे भी लादें।
भाईचारा अमन-प्रेम का दुनियाँ को हिलमिल रहने का हम पाठ पढ़ादें।
कोई दुखी-दरिद्र न होये रोग-अभाव मिटा सभी को हम समपन्न करादें।
राम राज्य कर फिर से कायम सब कमियाँ सारे अत्याचार मिटादें।
कोई कमी भूलसे भी न रह पाये इस प्यारी वंसुधरा को मिल स्वर्ग बनादें।
युगों-युगों तक याद करें पृथ्वी पर सब हमको सब चेहरों पर मुस्कुराहट महकादें।
काश!!कोई वो बिता हुआ हमारा निश्छल निर्मल प्यारा सा बचपन लौटादें।
अफसोस!! रह-रह कर याद आती-तड़पाती है, हे बाल-सखे! मुझे…#तेरी_खट्टी_मिट्ठी_यादें।
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✍ अजय कुमार पारीक’अकिंचन’
☛ जयपुर (राजस्थान)
☛ Ajaikumar Pareek.
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