Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 May 2020 · 2 min read

तेरी एक तिरछी नज़र

रोता है आसमान क्यों सारा , रोती है क्यों हवाएँ ?
थम गई है इस शहर की सांसे कोई नज़र न आये ,

तेरी एक तिरछी नज़र ने हमें कहाँ पर पहुंचा दिया,
अपनी हद में रहने को हमें एक रास्ता बता दिया ,
“सादगी ” से रहने का सबक सबको सिखा दिया ,
अनमोल जिंदगी की चाह ने तेरे क़दमों में ला दिया I

रोता है आसमान क्यों सारा , रोती है क्यों हवाएँ ?
थम गई है इस शहर की सांसे कोई नज़र न आये ,

गुलशन को छेड़ते-2 हुए वो किस मुकाम पर आ गए ,
दौलत की चमक देखते-2 हुए मौत के करीब आ गए ,
नफरत का कारोबार करते-2 गर्त के नजदीक आ गए,
तू ही बचा ले इस जहाँ को को तेरी दहलीज पर आ गए ,

रोता है आसमान क्यों सारा , रोती है क्यों हवाएँ ?
थम गई है इस शहर की सांसे कोई नज़र न आये ,

सोलह श्रृंगार करके तेरे दर दुखयारी तेरी ओर निहार रही,
“फूलों” को माफ़ कर दे बड़ी आस से तेरी राह को देख रहीं,
पिया की आँगन में खड़ीं होकर रहम की भीख मांग रही ,
अपनी नज़रों का दे दे सहारा फूलों की अँखियाँ ढूढ़ रही I

रोता है आसमान क्यों सारा , रोती है क्यों हवाएँ ?
थम गई है इस शहर की सांसे कोई नज़र न आये ,

कली से जब कली मिली तो फूलों की एक नगरी बस गई,
नेकी से जब नेकी मिली तो इंसानियत की “दिया” बन गई ,
गरीब-मज़लूम की ओर उठे हाथ तो पिया की प्यारी बन गई,
इंसानियत की ओर बढ़े हाथ तो “राज” तेरी दीवानी बन गई I

रोता है आसमान क्यों सारा , रोती है क्यों हवाएँ ?
थम गई है इस शहर की सांसे कोई नज़र न आये ,

Language: Hindi
3 Likes · 727 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जताने लगते हो
जताने लगते हो
Pratibha Pandey
न मुझे *उम्र* का डर है न मौत  का खौफ।
न मुझे *उम्र* का डर है न मौत का खौफ।
Ashwini sharma
मै खामोश हूँ ,कमज़ोर नहीं , मेरे सब्र का इम्तेहान न ले ,
मै खामोश हूँ ,कमज़ोर नहीं , मेरे सब्र का इम्तेहान न ले ,
Neelofar Khan
🙅नम्र निवेदन🙅
🙅नम्र निवेदन🙅
*प्रणय*
क्या सत्य है ?
क्या सत्य है ?
Buddha Prakash
Why Not Heaven Have Visiting Hours?
Why Not Heaven Have Visiting Hours?
Manisha Manjari
मुस्कुराकर बात करने वाले
मुस्कुराकर बात करने वाले
Chitra Bisht
अति गरीबी और किसी वस्तु, एवम् भोगों की चाह व्यक्ति को मानसिक
अति गरीबी और किसी वस्तु, एवम् भोगों की चाह व्यक्ति को मानसिक
Rj Anand Prajapati
"स्मरणीय "
Dr. Kishan tandon kranti
अगर शमशीर हमने म्यान में रक्खी नहीं होती
अगर शमशीर हमने म्यान में रक्खी नहीं होती
Anis Shah
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-139 शब्द-दांद
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-139 शब्द-दांद
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
निर्माण विध्वंस तुम्हारे हाथ
निर्माण विध्वंस तुम्हारे हाथ
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
Below the earth
Below the earth
Shweta Soni
इस दिवाली …
इस दिवाली …
Rekha Drolia
वेलेंटाइन डे
वेलेंटाइन डे
Surinder blackpen
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
Kanchan Khanna
जोश,जूनून भरपूर है,
जोश,जूनून भरपूर है,
Vaishaligoel
तेवरी
तेवरी
कवि रमेशराज
जीवन साथी
जीवन साथी
Aman Sinha
इश्क़ और चाय
इश्क़ और चाय
singh kunwar sarvendra vikram
आओ मिलन के दीप जलाएं
आओ मिलन के दीप जलाएं
भगवती पारीक 'मनु'
3646.💐 *पूर्णिका* 💐
3646.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
श्याम भजन -छमाछम यूँ ही हालूँगी
श्याम भजन -छमाछम यूँ ही हालूँगी
अरविंद भारद्वाज
*आर्य समाज को 'अल्लाहरक्खा रहमतुल्लाह सोने वाला' का सर्वोपरि
*आर्य समाज को 'अल्लाहरक्खा रहमतुल्लाह सोने वाला' का सर्वोपरि
Ravi Prakash
दिल है पाषाण तो आँखों को रुलाएँ कैसे
दिल है पाषाण तो आँखों को रुलाएँ कैसे
Dr Archana Gupta
,,,,,,,,,,?
,,,,,,,,,,?
शेखर सिंह
गीत
गीत
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
ज़माने पर भरोसा करने वालों, भरोसे का जमाना जा रहा है..
ज़माने पर भरोसा करने वालों, भरोसे का जमाना जा रहा है..
पूर्वार्थ
दोहा सप्तक. . . . . दौलत
दोहा सप्तक. . . . . दौलत
sushil sarna
ध्यान क्या है, ध्यान क्यों करना चाहिए, और ध्यान के क्या क्या फायदा हो सकता है? - रविकेश झा
ध्यान क्या है, ध्यान क्यों करना चाहिए, और ध्यान के क्या क्या फायदा हो सकता है? - रविकेश झा
Ravikesh Jha
Loading...