तिरी आँखें मुझे सब कह रही हैं
मुझे तू प्यार कितना कर रही है।
तिरी आँखें मुझे सब कह रही हैं।।
किसी के कैफ़ियत मे डूब जाना
इशारों ही इशारों में फिर बुलाना
नज़र की ये नज़ाकत चल रही है…
तिरी आँखें मुझे सब कह रही हैं।।
हृदय पर याद मेरी है सजायी
अज़ब सी चाह तू ने ये दिखायी
ये’ कितनी बे-करारी बढ़ रही है…
तिरी आँखें मुझे सब कह रही हैं।।
ख़ुदा से भी मुझे ये मांगती हैं
मिरे ही साथ जीना चाहती हैं
इधर भी ख़्याल ऐसी पल रही है…
तिरी आँखें मुझे सब कह रही हैं।।
✍️ सतेन्द्र गुप्ता
पडरौना-कुशीनगर
मो.:-6393000233