“तेरा ही ज़िक्र करते हैं”
रात भर अपना दर्द, ख़ुद से ही बया करते है।
हम लिखते है फसाना अपनी ज़िन्दगी का, और उस में भी तेरी ही फ़िक्र करते हैं।
सोचता हूं तुझे भूलकर, अपनी राह में आगे बढ़ जाऊ।
लेकिन अपनी हर शायरी में सिर्फ़ तेरा ही ज़िक्र करते हैं।
रात भर अपना दर्द, ख़ुद से ही बया करते है।
हम लिखते है फसाना अपनी ज़िन्दगी का, और उस में भी तेरी ही फ़िक्र करते हैं।
सोचता हूं तुझे भूलकर, अपनी राह में आगे बढ़ जाऊ।
लेकिन अपनी हर शायरी में सिर्फ़ तेरा ही ज़िक्र करते हैं।