Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Feb 2022 · 1 min read

तेरा हासिल

ज़िंदगी तुझपे जब नज़र डाली ।
तेरा हासिल नज़र नहीं आया ।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
Tag: शेर
8 Likes · 170 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all

You may also like these posts

दाल गली खिचड़ी पकी,देख समय का  खेल।
दाल गली खिचड़ी पकी,देख समय का खेल।
Manoj Mahato
प्यासा के भोजपुरी ग़ज़ल
प्यासा के भोजपुरी ग़ज़ल
Vijay kumar Pandey
सख्त बनो
सख्त बनो
Dheerja Sharma
कुंडलिया ....
कुंडलिया ....
sushil sarna
दोहे _ चार
दोहे _ चार
Neelofar Khan
मन करता है नील गगन में, पंछी बन उड़ जाऊं
मन करता है नील गगन में, पंछी बन उड़ जाऊं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*ना जाने कब अब उनसे कुर्बत होगी*
*ना जाने कब अब उनसे कुर्बत होगी*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
वफ़ा की कसम देकर तू ज़िन्दगी में आई है,
वफ़ा की कसम देकर तू ज़िन्दगी में आई है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दिल तमन्ना कोई
दिल तमन्ना कोई
Dr fauzia Naseem shad
कि लड़का अब मैं वो नहीं
कि लड़का अब मैं वो नहीं
The_dk_poetry
समूह
समूह
Neeraj Agarwal
कविता के प्रेरणादायक शब्द ही सन्देश हैं।
कविता के प्रेरणादायक शब्द ही सन्देश हैं।
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
दो लॉयर अति वीर
दो लॉयर अति वीर
AJAY AMITABH SUMAN
धधकती आग।
धधकती आग।
Rj Anand Prajapati
राखी
राखी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
I miss my childhood
I miss my childhood
VINOD CHAUHAN
*मूॅंगफली स्वादिष्ट, सर्वजन की यह मेवा (कुंडलिया)*
*मूॅंगफली स्वादिष्ट, सर्वजन की यह मेवा (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
अपने पराए
अपने पराए
Kanchan verma
माँ आजा ना - आजा ना आंगन मेरी
माँ आजा ना - आजा ना आंगन मेरी
Basant Bhagawan Roy
अभिव्यक्ति के माध्यम - भाग 02 Desert Fellow Rakesh Yadav
अभिव्यक्ति के माध्यम - भाग 02 Desert Fellow Rakesh Yadav
Desert fellow Rakesh
मन मेरे बासंती हो जा
मन मेरे बासंती हो जा
संतोष बरमैया जय
*ये रिश्ते ,रिश्ते न रहे इम्तहान हो गए हैं*
*ये रिश्ते ,रिश्ते न रहे इम्तहान हो गए हैं*
Shashi kala vyas
खेल खेल में छूट न जाए जीवन की ये रेल।
खेल खेल में छूट न जाए जीवन की ये रेल।
सत्य कुमार प्रेमी
यूँ धीरे-धीरे दूर सब होते चले गये।
यूँ धीरे-धीरे दूर सब होते चले गये।
लक्ष्मी सिंह
रमेशराज के वर्णिक छंद में मुक्तक
रमेशराज के वर्णिक छंद में मुक्तक
कवि रमेशराज
गनर यज्ञ (हास्य-व्यंग्य)
गनर यज्ञ (हास्य-व्यंग्य)
गुमनाम 'बाबा'
అదే శ్రీ రామ ధ్యానము...
అదే శ్రీ రామ ధ్యానము...
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
फर्जी /कुण्डलियां
फर्जी /कुण्डलियां
Rajesh Kumar Kaurav
- तुम्हारा ख्याल हरदम रहता है -
- तुम्हारा ख्याल हरदम रहता है -
bharat gehlot
Loading...