तेरा श्रृंगार है मेरी आँखों में
हाँ सच है तुझे देखा तो नहीं,
इक तस्वीर तेरी है आँखों में।
बेशक से वो धुंधली ही सही,
पर पहचान बसी है आँखों में।
तेरा विश्वास है मेरी आँखों में,
इंतज़ार है मेरी साँसों में।
हर दम मैं तुझे ही ढूंढ रहा,
तेरा ज़िक्र है मेरी बातों में।
तूने ही जो छेड़े थे कभी,
वोही सुर उठें मेरे गीतों में।
बिंदी, कुमकुम, काजल क्या हैं,
तेरा श्रृंगार है मेरी आँखों में।
————-शैंकी भाटिया
सितम्बर 30, 2016