तेरा मेरा साथ।
साथ रोती थी मेरे साथ हसा करती थी,
वो लड़की जो कभी मेरे साथ हुआ करती थी,
मेरी साथ की तलबगार थी इस तरह, वो,
की हर लम्हा साथ रहने कि फरियाद हुआ करती थी,
एक पल भी दूर रहना मंज़ूर नहीं था उसको,
दिन – रात, सुबह – शाम मेरे साथ हुआ करती थी,
रोग दिल का लगा चुके थे अंजाने में,तभी तो
जान देने कि बात हुआ करती थी,
बिछड़ गए वो तो किस्मत की बात है,वरना ,
बाहों में मेरे मरने की बात हुआ करती थी,