** तेरा बेमिसाल हुस्न **
जब तेरे कदम इतने सुंदर तो तेरा चेहरा कितना खूबसूरत होगा ?
जब तेरे नैन इतने मतवाले तो तेरा दिल कितना खूबसूरत होगा ?
तेरे “ बेमिसाल हुस्न के भंवर ” में डूबकर हम किस “ जहाँ ” आ गए,
जहाँ से अब न लौट सकूं , उस नाव पर बैठकर हम किस जहाँ आ गए,
तेरे नैनों में “प्यार के फूलों की नगरी” है बसती , उस जहाँ पर आ गए ,
भटके लोगों को जिंदगी का रास्ता दिखाने वाले तेरी धरा पर हम आ गए I
जब तेरे कदम इतने सुंदर तो तेरा चेहरा कितना खूबसूरत होगा ?
जब तेरे नैन इतने मतवाले तो तेरा दिल कितना खूबसूरत होगा ?
जब तुम दिल में रहते हो तो तुम्हारे रहने का मैं क्यों इंतजाम करूँ ?
दिलों में रहते हो फिर क्यों “ मकान ” बनाने का मैं इंतजाम करूँ ?
अम्बर है तेरा शामियाना तो फिर तेरे लिए क्यों घर की तलाश करूँ?
जो बुझाता है “प्यास” सबकी उसके लिए जल की तलाश क्यों करूँ ?
जब तेरे कदम इतने सुंदर तो तेरा चेहरा कितना खूबसूरत होगा ?
जब तेरे नैन इतने मतवाले तो तेरा दिल कितना खूबसूरत होगा ?
“राज” उठाने-गिराने में तूने अनमोल जीवन को गवां दिया ,
“नफरत की आग” लगाते-2 अपने “घर”को भी जला लिया,
तेरे नाम की माला ने मुझे जीने का एक रास्ता दिखा दिया,
तेरी एक नज़र ने मुझे “जिंदगी के मालिक” से मिला दिया I
जब तेरे कदम इतने सुंदर तो तेरा चेहरा कितना खूबसूरत होगा ?
जब तेरे नैन इतने मतवाले तो तेरा दिल कितना खूबसूरत होगा ?
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देशराज “राज”