तेरा नाम छा जाये
जुबां पे तेरा ही बस तेरा नाम छा जाये ।
हसरत-ए-जिंदगी अब तो तमाम हो जाये ।।
मै चाहता हूँ तुझे सारा जमाना चाहे ।
हूँ सिर्फ तेरा मुझे एतबार हो जाये ।।
जर्रे जर्रे में नज़र आती है बस झलक तेरी
दिल में मेरे तेरी तस्वीर आम हो जाये ।।
छुपकर बैठे हो कहाँ ? तुम न नज़र आते हो ।
अब तो नज़रों पे ही दीदार-ए-करम हो जाये ।।
मै तुझे मानता हूँ जानता हूँ फिर भी नहीँ ।
मुझको वरदान दे कि ज्ञान -ए-गीता हो जाये।।
मैने गीतों में तुझे गाया है आठों ही प्रहर ।
शब्द-ए-सागर हरएक राम-राम हो जाये ।।४
सुनील सोनी “सागर”
चीचली(म.प्र.)