तेरा इश्क जब ख़ुशबू बनकर मेरी रूह में महकता है तेरा इश्क जब ख़ुशबू बनकर मेरी रूह में महकता है तुम दूर हो कर भी कितने क़रीब लगते है -शेखर सिंह