तेरा इशक
तेरा इशक चढा गया मुझ को सलीब पर।
शक करते रहे लोग,मेरे हर रकीब पर।
तुम गर किस्मत मे होते,तो मिल ही जाते,
बात आकर अटकी बस,मेरे नसीब पर।
हैरां थे लोग ,मेरा ऐसा हाल यूँ देख कर,
अटक गई हर नजर मेरे हाल अजीब पर।
सोचते रहे लोग कातिल का मेरे बस नाम
शुभा किसी को न था मेरे किसी करीब पर।
चाँदी की दीवार न बसतोड़ पाया था मै,
मुफलिसी ने कहर तोड़ा था गरीब पर।
दुशमन तो सब शको शुभा मे थे शामिल,
शक किसी का नही था मेरे हबीब पर।
सुरिंदर कौर