तेजी से पनपता अंधविश्वास का कारोबार
इक्कीसवीं सदी,जिसमें हमने अमूमन हर क्षेत्र में ही विकास के नए आयामों को छुआ है। इसके बावजूद आज भी धर्म, आस्था और विश्वास के नाम पर सालोंसाल से होते चले आ रहे कुत्सित कारोबार को कम नहीं कर पा रहे हैं। यह स्थिति तब है, जब समाज के लगभग अस्सी प्रतिशत लोग जानते हैं कि अंधविश्वास का बढ़ता कारोबार समाज के लिए बेहद घातक है। फिर भी हम लोग इस कारोबार को प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा देने में सहायक है। जिसके चलते ज्योतिष और तंत्र–मंत्र, सुरक्षा कवच बेचने, शनि के प्रकोप से बचाने, मोक्ष प्राप्त करने, सांसारिक व्याधियों से छुटकारा दिलाने के लिए अनेक साधु–संत, योगी, तांत्रिक, ज्योतिषी और भविष्यवक्ता लगे हुए हैं।
पहले तो उनके प्रचार–प्रसार का माध्यम महज उनके चेले–चपाटे हुआ करते थे, या वे चंद दलाल जो लोगों को भटकाकर, समाज को गुमराह कर, उसकी जड़ें खोखली करने में लगे रहते थे। लेकिन, आधुनिक युग में विश्वास का यह घातक कारोबार टेलीविजन चैनल, अखबारों में विज्ञापन या फिर अन्य तरह की पत्र–पत्रिकाओं के माध्यम से समाज के बीच दिनों दिन पैठ बनाता जा रहा है। दूसरा माध्यम है, प्रवचन। कभी समाज को राह दिखाने वाले प्रवचन में भी आज भटकाव की ही बात की जाती है। क्योंकि, जितना भटका देंगे, उतना धनार्जन हो जाएगा, इसी उद्देश्य के साथ दिल्ली सरीखे बड़े शहरों में अब तक बाबाओं के बड़े–बड़े कार्यक्रम हुआ करते थे। लेकिन, अब लक्ष्मी कमाने में जुटे इन अवतारी बाबाओं ने मुरादाबाद, बरेली, रामपुर, रुद्रपुर, सरीखे छोटे शहरों को भी अपना अड्डा बनाना प्रारंभ कर दिया है। करीब सात साल पहले रामपुर में एक अवतारी बाबा आये थे। नैनीताल हाइवे स्थित चीनी मिल मैदान पर उनका भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें लाखों खर्च हुए थे। जाहिर सी बात है कि यह धन उन्हें अपने भक्तों से प्राप्त हुआ होगा। जिसका उपयोग उन्होंने अपने प्रचार में किया, जिससे प्रभावित होकर भक्तों की सूची में कुछ नये नाम और जुड़ जायेंगे। सिलसिला तेज होगा तो उनके पास काफी दौलत एकत्र हो जाएगी। जिसके नशे में चूर होकर कितने ही तथाकथित संत, बाबा, तांत्रिक और स्वामी भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे हुए हैं। कोई सेक्स रैकेट चलाने का आरोपी है, तो कोई आश्रम के नाम पर दान के रूप में मोटी रकम ऐंठ रहा है। इच्छाधारी बाबा का प्रकरण ही ले लीजिये, इसके द्वारा अवैध यौन संबंधों का कुत्सित कारोबार देश के अलग–अलग हिस्सों में कहां–कहां तक फैला प्रकाश में आया। एक बड़े नाम वाले बाबा को ही ले लीजिए–कितनी आस्था से लोग उनसे जुड़े। लेकिन, उनके जगह–जगह बने आश्रम किस तरह से जमीन हथिया कर बनवाये गये हैं, यह सोचने का विषय है। उन बाबा के खिलाफ पटना की एक अदालत में बकायदा मुकदमा चल रहा है। करीब पांच साल पहले उनके आश्रम में चल रहे गुरुकुल में दो बच्चों की हत्या हो गई। इस प्रकरण की जांच आगे ही बढ़ी कि एक और महाराज के और उनके अनुयायियों के खिलाफ कोर्ट से मुकदमा दर्ज कराने के आदेश हुए। आरोप लगा कि वे आयकर में छूट का प्रलोभन देकर मोटी रकम दान स्वरूप ली। लेकिन, आयकर में छूट नहीं मिली। यह सब क्या है ?
धर्म और आस्था के नाम पर लोगों को गुमराह करने की अनुचित कला नहीं तो और क्या कहेंगे ? एटा में एक बाबा पर हत्या में साजिश रचने का मुकदमा दर्ज हुआ है। सत्संग के दौरान एक महिला को वहां गोली से उड़ाया गया। आसाराम बापू, गुरमीत राम रहीम के कृत्य, इन्हें संत, महात्माओं और बाबाओं के गौरव का खंडन नहीं तो और क्या कहेंगे……?
ये तो थे तथाकथित बाबा। टीवी चैनलों की बात करें तो अंध विश्वास फैलाने, लोगों की कमजोरी को भांपते हुए उनका शोषण करने में कई टेलीविजन चैनल भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। दर्जनों ऐसे चैनल हैं, जिन पर महज लोगों को भ्रमित करने के ही कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। जो लोगों को अंध विश्वास की राह पर चलने के लिए विवश करते हैं। उनकी मानसिक रूप से अच्छा–बुरा सोचने की क्षमता के प्रति दुर्बलता पैदा करते हैं। कई चैनलों पर तरह–तरह के रक्षा कवच बेचने का कार्यक्रम प्रसारित किया जाता है। बकायदा कुछ एड कलाकारों के माध्यम से कार्यक्रम दर्शाया जाता है कि आपके बच्चे को, कारोबार को किसी की नजर न लग जाए, इसके लिए आप अमुक रक्षा कवच का उपयोग करें। अभी फोन पर आर्डर बुक कराने वालों को बीस प्रतिशत की छूट दी जाएगी। सहयोग मूल्य 2599 रुपये है। लोगों को अपने मकड़जाल में मजबूती से फंसा सकें, इसके लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी झूठा अवगत कराया जाता है, कि साइंस भी मानती है, बुरी नजर लगती है। जबकि, सच्चाई यह है कि विज्ञान में आंखों से निकलने वाली ऐसी किसी भी किरणों के बारे में कोई जानकारी ही नहीं दी गई है। लेकिन, ये टेलीविजन चैनल पर अंध विश्वास को बढ़ावा देने वाली मंडी, सिर्फ लोगों के विश्वास को डगमगाती ही नहीं, बल्कि उसे खंडित कर रही है।
संसार सुख और दुख का भंडार है। यहां सुख के बाद दुख और दुख के बाद सुख आते–जाते रहते हैं। ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है, जिसकी अपनी समस्याएं नहीं हैं। इन्हीं समस्याओं से छुटकारा दिलाने की बात कहकर ज्योतिषी अपना कारोबारा आजकल चमका रहे हैं। बताते हैं कि आपकी राशि पर शनि का प्रभाव है, आप शनि को प्रसन्न करने के लिए शनि महाराज का कवच धारण कीजिये। जबकि, ज्योतिष की भी इस वैज्ञानिक युग में कोई मान्यता नहीं रही है। क्योंकि, ज्योतिष विज्ञान नहीं बल्कि,एक शास्त्र है, जो मजबूत विश्वास वालों को भी कमजोर करने में सहायक होता है। जिसका उदय ही समाज में भ्य और घबराहट पैदा करने के लिए हुआ है। लेकिन, लोगों का अंधविश्वास देखिये कि वे ज्योतिष के प्रति गंभीर हो चले हैं। लगभग 99% लोग सुबह के अखबार में राशिफल देखना नहीं भूलते। यह सब अंधविश्वास नहीं तो और क्या है ?
अतैव हमें सोचना होगा कि हम इक्कीसवीं सदी के समाज को प्रगतिशील, आत्मविश्वास से लवरेज, वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाला और स्वावलंबी बनायें या फिर स्वावलंबनहीन, दुर्बल, अंधविश्वास के समुंदर में गोते खाने वाला। क्योंकि, अंधविश्वास का इस तरह से बढ़ता कारोबार समाज के लिए घातक है। अंधविश्वास हमारी नींव को खोखला करने के सिवाय और कुछ नहीं कर सकता।
–विपिन शर्मा