तृष्णा के अम्बर यहाँ, तृष्णा के अम्बर यहाँ, तृप्ति मात्र आभास । अवगुंठन में तृप्ति के, सिर्फ प्यास ही प्यास ।। सुशील सरना / 6-3-24