तू है तो फिर क्या कमी है
तू है तो फिर क्या कमी है
आंखों में फिर क्यों नमी है।
सामने तेरे बैठा तो हूं मैं
पलकों क्यूं जमीं पर जमी है।
क्यों जुबां खामोश है तेरी
लगता है सांसें भी थमी हैं।
मुस्कान का पैरहन उतार दो
आंख में तो बस ग़मी है।
जितनी मर्जी फेर लो नजरें
दिल में तो बस हमीं हैं।
सुरिंदर कौर