तू ही मेरी लाड़ली
मेरा चंदा ,मेरा सूरज, तू ही है मेरी लाड़ली।
मेरा सपना, मेरी मंजिल, तू ही है मेरी लाड़ली।।
मेरा चंदा, मेरा सूरज—————————-।।
बहुत सारे सपनें बुने हैं, मैंने सिर्फ तेरे लिए।
यह मेरी दौलत-वसीहत, सिर्फ है तेरे लिए।।
तू ही मेरा वारिस, तू ही मेरा भविष्य है।
मेरा अभिमान, मेरा गौरव, तू ही है मेरी लाड़ली।।
मेरा चंदा- मेरा सूरज——————————-।।
ऑंसू तेरे कभी बहे नहीं, ना कोई मुसीबत तुमपे आये।
हरपल हंसता तेरा चेहरा हो, रब की मिली तुम्हें दुहायें।।
कांटें नहीं हो तेरी राह में, ओ मेरी राजदुलारी।
मेरी खुशी, मेरी हंसी , तू ही है मेरी लाड़ली।।
मेरा चंदा, मेरा सूरज —————————–।।
आई है मेरे आँगन में रौनक, तेरे जन्म लेने से।
मेरी है मेरी सूनी बगिया, तू मेरे चमन में खिलने से।।
तेरे लिए ही बहा रहा हूँ मैं, खून पसीना इस तरहां।
मेरा सम्मान , मेरा संसार , तू ही है मेरी लाड़ली।।
मेरा चंदा, मेरा सूरज———————————।।
साहित्यकार एवं शिक्षक-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)