— तू ही तू —
जिधर देखूं.
बस तू ही तू
नजर आता है
मेरी राह में
तेरा अक्स नजर आता है
जर्रे जर्रे में
तेरा रूप नजर आता है
कैसे न मानू तुझे
तू ही तो मेरा कल
मेरा आज नजर आता है
तेरे बिना नही
मेरा कोई वजूद यहाँ
मुझ में जो भी है
उस में तू ही नजर आता है
बेवजह कहते हैं
लोग कि सब कुछ मैं हूँ
पर सब जानते हैं
तुझ बिन कुछ नही भाता है
आशा तृष्णा मन का मीत
सब का तुझ से ही नाता है
ऐसे ही चलना साथी बनकर
तुझ सा सारथी साथ निभाता है
“अजीत” कैसे बढ़ाएगा
अगला कदम जीवन का
हर कदम में तू ही तू
बढ़के साथ आता है
अजीत कुमार तलवार
मेरठ