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1 Nov 2021 · 1 min read

तू ही खास आजकल

तू ही तो है खास आजकल
**********************

तू ही तो है खास आजकल,
दिल जो तेरे पास आजकल।

हाथों को यूं देखकर जुड़े हुए,
लगता हूँ मैं दास आजकल।

बदली छाई – स्याह आसमां,
मौसम भी है रास आजकल।

उलझी – उलझी जिंदगी रही,
बिखरी जैसे ताश आजकल।

मनसीरत बन कर रहा आदमी,
चलती फिरती लाश आजकल।
************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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