हिंदू तू हो गया मैं मुसलमान हो गया
बह्र-मजारे अख़रव मक्फ़ूफ़ मक्फ़ूफ़ महजूफ़
वज़्न-221 2121 1221 212
ग़ज़ल
हिंदू तू हो गया मैं मुसलमान हो गया।
वो आदमी कमाल जो इंसान हो गया।।
क्या खूब नाम हमने तो उस रब के रख लिये।
मेरा ख़ुदा हुआ तेरा भगवान हो गया।।
तूने पढ़ी न मैने सबक ही लिया कोई।
गीता हुई तेरी मेरा कुर’आन हो गया।।
मैने वुजू किया है किया तूने आचमन।
मेरा गुसल हुआ तेरा स्नान हो गया।।
होती बहस है रोज यूं मुद्दे उछाल कर।
मज़हब तो आज जंग का मैदान हो गया।।
कुदरत ने तो अनीशदिया रंग हर हमें।
अब लाल या हरे की ये पहचान हो गया।।
@nish shah