तू हकीकत से रू बरू होगा।
पेश है पूरी ग़ज़ल…
काश सुन पाता तू मेरी धड़कनों की सदा।
तो फिर कभी ना कहता यूं हमको बेवफा।।1।।
एक दिन तो तू हकीकत से रू बरू होगा।
तू खुद बखुद ही बन जायेगा मेरा रहनुमा।।2।।
सच तो सच ही रहता है सदा ज़िन्दगी में।
हर मोहब्बत जिन्दा रहती है बनके दास्तां।।3।।
तेरे ही खातिर फूल ए गुलशन उगाया है।
खुश्बुओ से महक रहे है अब सब अरमां।।4।।
देख तेरी मोहब्बत में हम बर्बाद हो गए।
बेवफाइयां तू करता रहा हमने की वफा।।5।।
खुदा के सिवा तवक्को नही है किसी से।
उससे बस तुझे मांगता हूं ए मेरे हमनवां।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ