तू सर्दियों की गुनगुनी धूप सा है।
तू सर्दियों की गुनगुनी धूप सा है।
तेरा ये हुस्न जन्नत की हूर सा है।।1।।
चमक से जगमग है तेरी पेशानी।
तेरा ये वजूद खुदा के नूर सा है।।2।।
रोशन हुई महफिल तेरे आने से।
हर शख्स है महका फूल सा है।।3।।
तेरी तजल्ली को कैसे करे बयां।
सभी हीरों में तू कोहिनूर सा है।।4।।
सब के सब ही मुझसे कहते है।
मेरी जुस्तजू में तू फितूर सा है।।5।।
तेरे साथ वक्त अच्छा लगता है।
बिन तेरे यह भी फिजूल सा है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ