तू सरिता मै सागर हूँ
तू सरिता मै सागर हूँ
विधा :- गीत
चंदा और चांदनी जैसे
तू मुझ मे़ है मै तुझ मे़ हूँ।
देह प्राण का ज्यूँ एक ही नाता
तू मुझ मे़ है मै तुझ मे़ हूँ ॥ चंदा और चांदनी जैसे
तेरी मंजिल बस मेरा साहिल
मेरा कोई नही किनारा
तू सरिता है मै सागर हूँ
जन्म जन्म का साथ हमारा।
स्वाद अलग स्वभाव एक है
तू मुझ मे़ है मै तुझ मे़ हूँ ॥चंदा और चांदनी. .
मै स्थिर तू चंचल है
मै खारा हूँ तू निर्मल है
समा गई तुम जिस पल मुझ मे़
मेरा तेरा एक ही जल है
तू अविरल मै ध्यान मग्न हूँ
तू मुझ मे़ है मै तुझ मे़ हूँ ॥चंदा और चांदनी
भाव भरी प्यासी नदियाँ तू
मै गहरा एक प्यार का सागर
तू बहती बलखाती सरिता है
मै तृप्त सदा हूँ इक गागर
तट बंधों कें ढह जानें पर
तुम मुझ मे़ है मै तुझ मे़ हूँ॥
चंदा और चांदनी जैसे
तू मुझ मे़ है मै तुझ मे़ हूँ ॥
सत्य प्रकाश शर्मा “सत्य ”
देहरादून