तू शब्द है ।
तू शब्द है
प्रेम में कहा ….गजल हुई
दुख में कहा ….जहर हुई
सुख में कहा ….खुशी हुई
मां की लोरीओ में ….अमृत हुई
बहारों ने कहा ….वसंत हुई
मायाजाल में ….छल हुई
जुबा से फिसल गई …. गुन्हा हुई
पेट में पच गई ….भरोसा हुई
कसम खा गई ….वचन हुई
ईर्ष्या में आ गई ….झूठी हुई
जोश में आ गई ….उत्साह हुई
मदहोशी में फस गई ….नशा हुई
रोनक में आ गई ….दीपा हुई
सूर्य अस्त में ….निशा हुई
गहरी नींद में ….सपना हुई
जग गई तो …सुबह हुई
युद्ध में …प्रक्रम हुई
जो डर गई …कायर हुई
देश के दिल में तू …जनगण हुई
शीला से तरस गई ….भगवा हुई
पानी की तरह …रंगहीन तू
शब्द सबसे बड़ी …शमशीर तू
तेरे बाण से ना कोई बच सका
भगवान भी तेरे जाल से ना निकल सका
बिना कांटे खून बहाती है
कभी प्रेम रस में तू घुल जाती है
शब्द तू दयावान है ,क्रूर तू कभी भगवान हैं
तुझ में ही जग की हर उम्र है
तू शब्द है, तू शब्द है ,तू शब्द है ……
हर्ष मालवीय
बीकॉम कंप्यूटर द्वितीय वर्ष
शासकीय हमीदिया कला एवं वाणिज्य
महाविद्यालय