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1 Dec 2024 · 1 min read

तू शबिस्ताँ सी मिरी आँखों में जो ठहर गया है,

तू शबिस्ताँ सी मिरी आँखों में जो ठहर गया है,
दरिया न जाने समंदर से मिलने किधर गया है

©️🖊️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

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