#कुंडलिया//
हमसे जाकर दूर तू , भूल न जाना यार।
करना फ़ोन ज़रूर तू , रोज एक दो बार।।
रोज एक दो बार , प्यार रहे सदा ताज़ा।
सुख-दुख सबके एक , रंक हो या फिर राजा।
सुन प्रीतम की बात , दूर रहना तुम ग़म से।
यही दुवा है एक , जुड़े रहना तुम हमसे।
आफ़त देती दर्द पर , देती है यह सीख।
न्यारा-प्यारा कौन है , जाता है यह दीख।
जाता है यह दीख , प्रेरणा इसे समझिए।
संकट के पल चार , सदा हँस यार निपटिए।
सुन प्रीतम की बात , रखो उर सदा शराफ़त।
प्रेम लिए हो दूर , बड़ी हो चाहे आफ़त।
#आर.एस. ‘प्रीतम’