तू मेरा मारुति नंदन है…
अभिनंदन तेरा अभिनंदन,
तू मेरा यशोदा नंदन है ।
बार-बार तुमको वंदन,
तू मेरा मारूति नंदन है ।
जला दिया सोने की लंका,
मचा हुआ अब क्रंदन है ।
तोड़ सका न जिसे कोई,
तोड़ दिया वो बन्धन है ।
तू सागर से भी गहरा,
कर सके न कोई मंथन है ।
राम काज तुम करके लौटो,
यही हमारा चिंतन है ।
बार-बार तुमको वंदन,
तू मेरा मारूति नंदन है ।
अभिनंदन तेरा अभिनंदन,
तू मेरा यशोदा नंदन है ।
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रामचन्द्र दीक्षित ‘अशोक’
राजाजीपुरम,लखनऊ
दिनांक 28/02/2019