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4 Sep 2019 · 1 min read

तू महकी सुगंध मैं चंदन हूँ

तेरी यादों को अपने दिल से,मिटा सकता नहीं कभी।
तू महकी सुगंध मैं चंदन हूँ,छिपा सकता नहीं कभी।।

बिन मंज़िल के चलना ही कैसा,कटी पतंग कहूँ इसे।
बिन उल्फ़त के जीना ही कैसा,मिटी उमंग कहूँ इसे।
तू मौसम वसंत मैं उपवन हूँ,भुला सकता नहीं कभी।
तू महकी सुगंध मैं चंदन हूँ,छिपा सकता नहीं कभी।।

अग्नि जला सोना कुंदन करदे,सिखाएँ हार भी यहाँ।
कीचड़ में हँस पकंज खिल जाए,उठे लाचार भी यहाँ।
तू पावन बदली मैं सावन हूँ,गँवा सकता नहीं कभी।
तू महकी सुगंध मैं चंदन हूँ,छिपा सकता नहीं कभी।।

मेरी साँसों की सरग़म है तू,लिए चल प्यार है जहाँ।
मेरी आँखों का दर्पण है तू,दिखा चल नूर है कहाँ।
तू रस्ता मेरा मैं राही हूँ,चला सकता नहीं कभी।
तू महकी सुगंध मैं चंदन हूँ,छिपा सकता नहीं कभी।।

तेरी यादों को अपने दिल से,मिटा सकता नहीं कभी।
तू महकी सुगंध मैं चंदन हूँ,छिपा सकता नहीं कभी।।

–आर.एस.प्रीतम
सर्वाधिकार सुरक्षित–radheys581@gmail.com

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 419 Views
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