ऐ मनुष्य एक दिन बड़ा पछतायेगा
ऐ मनुष्य एक दिन बड़ा पछतायेगा
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जंगलों को नोच कर प्राण हीन करता है,
ऐ मनुष्य एक दिन बड़ा पछतायेगा।
नदियों में डालता है पाप सभी अपने तू,
यही तुझे मृत्यु के करीब पहुँचायेगा।
आँचल जो लालच के मैल से भरेगा यदि,
माता धरती का तू दुलार कैसे पायेगा?
रहते समय शेष होश में आ जाओ सुनो,
वरना तू काल के ही गाल में समायेगा।
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 19/04/2021