क्यूं हताश बैठा है तू
क्यूं हताश बैठा है तू
थोड़ा ही, चला है तू
तू बादल चूम तो सही
बरस जायेगा
कंकड़ के रहा मिलेंगे
रक्त के पदचिन्ह बनेंगे
घटा पर चढ़ तो सही
घट जाएगा
अंधेरे से हार ना तू
तूफानों से डर ना तू
कदम बढ़ा तो सही
राह खुद आएगा
मेहनत की तू रस्सी फेंक
आसमां को जकड़ में ले
तू ज़ोर लगा तो सही
वो झुक जायेगा
सागर को तू बढ़ने दे
शहरों पर चढ़ने दे
तू सूरज बन तो सही
वो सुख जायेगा
हल को तू कर ले तेज
मुट्ठी को भर और फेंक
तू पसीना बहा तो सही
फसल उग जायेगा ।