तू बस झूम…
एक सितारा ही तो टूटा
तू क्यों फिरता रूठा रूठा
लाख सितारे देख जड़े हैं
अंबर के आँचल में पड़े हैं
एक मुक़द्दर तेरा लिखेगा
होना है जो हो कर रहेगा
तेरे बस में कुछ नहीं है
बेफिक्री को चूम
तू बस झूम झूम झूम
किसकी किसकी सुनेगा
जग तो फिर भी कहेगा
तू मन से मन की सुन ले
सुख संग दुख भी चुन ले
ढूँढ रहा जो तू जग में
वो सुकूं तेरे अंतस् में
बन दीवाना बन मस्ताना
अपने अंदर घूम
तू बस झूम झूम झूम
मोह के धागे उलझे उलझे
लाख लपेटो ये न सुलझे
तोड़ के बंधन चल अकेला
निर्मोही का पहन के चोला
क्या खोया क्या पाना है
सब छोड़ यहीं जाना है
अंतिम सत्य यही
बेमतलब धकाधूम
तू बस झूम झूम झूम
रेखांकन।रेखा ड्रोलिया