तू बरस के मुझपे देख
मैं बादल बन जाऊं तु मेरा आसमा बन के देख
मैं जमी बनू तुम्हारी तु बरस कर तो मुझ पे देख
मैं ग़ज़ल बनू पिया जी ,जो तुम गुनगुनाओ मुझे
मैं फूल सी खिल जाऊं तु मुस्कुरा के मुझको देख
मैं लबों की हसीं और प्रेम सा एहसास बन जाऊं
मैं तुम में खोजाऊं हां गले लगा के मुझको देख
प्रज्ञा गोयल ©®