तू बढा सुलझा हुआ है मैं बहुत उलझा हुआ हूं
तू बढा सुलझा हुआ है
मैं बहुत उलझा हुआ हूं
तेरी यादों के दरिया में
मैं आज भी बिखरा हुआ हूँ
टूट गया आशिया दरख़्त से
तेरी याद में आज भी सम्भला हुआ हूँ
कट गए पर आसमाँ में उड़ने को
आसमाँ छूने को आज भी ज़मी पर टिका पड़ा हूँ
उड़ गया घरौंदा रेत का तूफानों में
राह में चल रहा हूँ अभी डरा नही हूँ
भूपेंद्र रावत
28/10/2017