तू न सही
रात की खामोशी है आंखों में नींद नहीं
बस तेरे नाम की हलकी सी बेहोशी है
खुली आंखों में भी अब मेरे सपने हैं
और सपने में हलकी सी मदहोशी है
क्या गजब कि तू मुझको चांद में दिखता है
तू न सही मेरे पहलू में तेरे ओर से खामोशी है
~ सिद्धार्थ
रात की खामोशी है आंखों में नींद नहीं
बस तेरे नाम की हलकी सी बेहोशी है
खुली आंखों में भी अब मेरे सपने हैं
और सपने में हलकी सी मदहोशी है
क्या गजब कि तू मुझको चांद में दिखता है
तू न सही मेरे पहलू में तेरे ओर से खामोशी है
~ सिद्धार्थ