तू नहीं तो तेरी यादें आती है
तू नहीं तो तेरी यादें आती है
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तू नहीं तो तेरी यादें आती है,
दिन-रात हमको तड़फाती हैं।
खुली आंखें देखूं हसीं सपने,
यही सोचूं कभी होंगे अपने,
ख्वाबों की तपिश रुलाती है।
तू नहीं तो तेरी यादें आती है।
चोरी-चोरी चुपके-चुपके से,
भारी दिल तो कभी हल्के से,
सूखी आंखों को बरसाती हैं।
तू नहीं तो तेरी यादें आती हैं।
जब से चली सुहानी पुरवाई,
नमी के साथ तेरी याद आई,
भीनी सी खुश्बू आ जाती हैं।
तू नहीं तो तेरी यादें आती है।
ये जिंदगी तेरे नाम कर जाऊं,
जी चाहे आन गले लग जाऊं,
मधुसूदन अरमान जगाती हैं।
तू नहीं तो तेरी यादें आती हैं।
मनसीरत प्रेमी हुआ हरजाई,
चली आओ बन कर परछाई,
खुली बांहें तुम को बुलाती है।
तू नहीं तो तेरी यादें आती है।
तू नहीं तो तेरी यादें आती है,
दिन-रात हमको तड़फाती हैं।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)