तू दूर बहुत है और कदम मेरे छोटे हैं
तू दूर बहुत है और कदम मेरे छोटे हैं
हाथ बढ़ाऊं भी तो कैसे हाथ मेरे छोटे हैं
मैं उसके नाम का ख़वाब देखूं भी तो कैसे
मेरी ऑंखों के दायरे दीदार बड़े छोटे है
कितनी ही दफा सोते में तेरे होठों पे रख दिए होठ
कितनी ही दफा खुद से कहा ये हरकत बड़े छोटे है
हीज्र के जर्द बांहों में अब ढूंढ़ते नहीं हम तुझे जानाॅं
दिल के दीवार पे तेरी तसवीर को यादों से जो ठोके है
दिल कहता है कदम सुनता है मेरी दोनों ही नहीं सुनते है
दोनों को बड़ी मुश्किल से पुर्दिल तेरी बज़्म में जाने से रोके हैं
~ सिद्धार्थ