तू दुनिया की हर चीज में बसी।
तू दुनिया की हर चीज में बसी। अपने आंचल में सभी को समेटे।प्यार की डोर से सभी को लपेटे।। कैसे कहूं यह कथा है अनकही।तू दुनिया की हर चीज में बसी।एक ही बीज के दो रूप हैं। कोई सुंदर है तो कोई कुरूप है। विधाता ने दोनों ही रचना रची।तू दुनिया की हर चीज में बसी। कोई तुझे कहें अबला, तो कहें नारी। पुरूष। से मिलकर तू बनी अलंकारी। तुझे जो भी देखता जिंदगी भर भटकता सही।तू दुनिया की हर चीज में बसी।ये संसार न चलता बिन तेरे। ये रिश्ते बनें घनेरे। दोनों ने ही मिलकर ये कहानी लिखी। ये दुनिया की हर चीज में बसी।।