तू दरिंदा है इंसान नहीं ,..
यह तो साबित हो गया ,
तुम दरिंदे हो इंसान तुम हो नहीं।
एक मासूम का कत्ल करते हुए ,
जो तुम्हारे हाथ कांपे नहीं ।
वोह मासूम लड़की जो छोड़के आई थी ,
सारी दुनिया तुम्हारे लिए ,
एक बार भी जिसने अपना भला बुरा समझा नही ।
तुम पर अंध विश्वास करती थी ,
इसी की सजा उसने तुमसे पाई ,
तुम्हारे हाथों ,अपने प्रेमी के हाथों मारी जायेगी,
उस पगली ने कभी सोचा ही नहीं ।
मारा तो मारा मगर ३६ टुकड़े भी कर दिए ,
बिखरे कहीं शरीर के चिथड़े ,
और बिखरे बेशुमार टूटे हुए अरमान कहीं ।
मिली हो बेशक जमाने में सच्चा प्यार करने वालों को,
मगर ऐसी भयंकर और दर्दनाक मौत कभी मिली होगी ।
कभी नहीं ! कभी नहीं ! कभी भी नहीं !
हा श्रद्धा ,! हा ,! काश तो पहले ही सचेत हो जाती ,
तो न तेरे परिवार जन बिलखते ,
और तेरा भी यह भयंकर अंजाम होता नही ।
एक मासूम को प्यार करने की इतनी बड़ी सजा ,
देखना जालिम ! तू भी बचेगा नहीं ।