तू चल थक मत
तू चल तू चल थक मत थक मत!
हिम्मत बड़ा और कोशिश पूरी कर!!
याद कर उन मां के पैरों के छालों को!
भूखा पेट और सिसकती रातों को!!
उलझन भरी बातों को ना कह पाती!
अब तुझसे अपनी दुख भरी बातों को!!
तू चल तू चल थक मत थक मत ……………
लेखक :- उमेश बैरवा