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16 Nov 2023 · 1 min read

तू चला चल

व्योम में अभिमान बनकर तू चला चल
पुण्य थल का मान बनकर तू चला चल
तू गरजता तू बरसता पर्वतों से
जन जगत कल्याण बनकर तू चला चल

आसमाँ का छत महकता तेरे दम से
तू कृपा का हाथ रख दे तो सवेरा
हर कोई आनंद लूटें श्वेत वन का
खिल उठी कोंपल युगों तक कौन ठहरा
भूमि का वरदान बनकर तू चला चल
जन जगत कल्याण बनकर तू चला चल

तू नहीं आता दुखों का नीर बहता
बाण छोड़ों घन दया की वृष्टि कर दो
आज भारी पड़ गया संधान जग का
वृक्ष वल्ली से ही जीवन ऐसा क्षर दो
अधरों की मुस्कान बनकर तू चला चल
जन जगत कल्याण बनकर तू चला चल

बादलों से गूँज उठ्ठी एक आशा
लाँघ दहली तू क्षितिज का धूम श्यामल
जाग तुझको दूर जाना हो न मूर्छित
बह रहे क्षण क्षण दृगों से खारे बादल
हौसलों के प्राण बनकर तू चला चल

Language: Hindi
1 Like · 141 Views
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