तू चला गया
न सागर के किनारे
न किसी नदिया के धारे
तू बह गया एक हवा की
लहर सा
तू मुट्ठी में न कैद होता
अब तो किसी रेगिस्तान की
गर्म रेत सा
कितना तुझे संवारा
कितना तुझे निखारा
कितने तुझे रंग लगाये
कितने दीये तेरी राह को
रोशन करने के लिए
जलाये पर
तू चला गया
दीपक सारे अब भी जल रहे
तेरी राह में रोशनी बिछाये
पर तू न जाने कहां गुम है
सब के दिलों में उजाला
भरकर
न जाने किन अंधेरों में
खो गया।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001