तू चला गया कहां
तू चला गया कहां पे
करके हमें अधूरा ।
कि ये जिंदगी कटेगी कैसे बिना तेरे।
इस जहां में अकेला छोड़ा ,
तूने किसके सहारे।
यूं अधूरी जिंदगी मै कैसे जिऊंगी,
इस जहां में।
जब जरूरत थी मुझको तेरी,
तूने दे दी मुझे तन्हाई ।मेरी वफा के बदले,
मुझे तूने दी बेवफाई।
यूं दगेबाजी करके, यूं अकेला मुझको करके,
तू चला गया किस जहां में।
ये आंखें पल-पल तरसी,
राहों में तेरी बरसी।
मगर तुझे रहम ना आया ,
तू लौट के अब भी न आया ।
यूं मुझे बर्बाद करके
ना जा मुझसे रुठ कर ।जी न पाऊंगी बिन तेरे, एक पल भी।
तू चला गया कहां पे, सुना कर के यह घरौ़दा।
के बिन तेरे पूरे नहीं हम,
कि हर खुशी भी गमगीन हो गई है,
कि तेरे बिन तो ये जिंदगीअधूरी हो गई है।