तू क्या जाने कितना प्यार करते हैं तुझसे…
तू क्या जाने कितना प्यार करते हैं तुझसे…
तेरी भलाई के लिए ही तो प्रतिकार करते हैं।
धूप में तप कर दुनियां से मुख़ातिब हो सको,
दुखाकर दिल तेरा बस यही इंतज़ार करते हैं।
…. अजित कर्ण ✍️
तू क्या जाने कितना प्यार करते हैं तुझसे…
तेरी भलाई के लिए ही तो प्रतिकार करते हैं।
धूप में तप कर दुनियां से मुख़ातिब हो सको,
दुखाकर दिल तेरा बस यही इंतज़ार करते हैं।
…. अजित कर्ण ✍️