तू कर ले चाहे अपने चेहरे पे परदा
तू कर ले चाहे अपने चेहरे पे परदा, मगर मैं तुमको पहचानता हूँ।
तू खुद को छुपा ले कितना भी चाहे, मगर तेरी सूरत मैं जानता हूँ।।
तू कर ले चाहे अपने चेहरे पे ——————-।।
भूल सकती है तू मेरे उस प्यार को, वो लम्हे अपनी मुलाकात को।
तेरे लिए नहीं है वह लाजिमी, भूल सकता नहीं मैं अपने साथ को।।
तू बदल लें चाहे खुद को भी कितना, मगर तेरी हसरत मैं जानता हूँ।
तू कर ले चाहे अपने चेहरे पे ——————–।।
अपना सफर यह जो तुमने सजाया है, किसके अरमां को लगाकर अगन।
अपना महल यह जो किया है गुलजार, रौंदकर तुमने किसका चमन।।
तू छू ले चाहे कितनी भी रफ़त, मगर तेरी हस्ती मैं जानता हूँ।
तू कर ले चाहे अपने चेहरे पे ——————–।।
तू कह ले कुछ भी अपनी तरफ से, इस महफ़िल में किसी यार को।
कौन है ऐसा यहाँ वह आदमी, नहीं जानता जो मेरे प्यार को।।
तू चाहे लगा ले अपनी आँखों पे शीशा, मगर तेरी नजरें मैं जानता हूँ।
तू कर ले चाहे अपने चेहरे पे ———————-।।
यहाँ यह हिदायत देता हूँ तुमको, मत खुलेआम कर तू खुद को इतना।
करता नहीं कोई आदर तेरा इतना, मुझको ख्याल है तेरा जितना।।
तू चाहे मत कर कोई बात मुझसे, मगर तेरी धड़कन मैं जानता हूँ।
तू कर ले चाहे अपने चेहरे पे ———————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)