!!** तू कभी बेजुबाँ नहीं होता **!!
!!** तो कभी बेजुबाँ नहीं होता **!!
2122-1212-22
दर्द-ए-दिल अयाँ नहीं होता,
चाह कर भी बयाँ नहीं होता ।।
आग पहले कहीं लगी होगी,
बेवज़ह ही धुआँ नहीं होता ।।
रब मेरा साथ गर नहीं देता,
मेरा अपना मकाँ नहीं होता ।।
दोस्तों से गिला तुम्हें क्यों है,
दोस्त शातिर कहाँ नहीं होता ।।
“दीप” ग़र मेरी बात सुन लेता,
तू कभी बेजुबाँ नहीं होता ।।
दीपक “दीप” श्रीवास्तव
महाराष्ट्र