तू और में
बस तुम और तुम,
तू है इक तराना,
कुछ कुछ नया सा- कुछ कुछ पुराना,
तू तो अपना सा भी है,
कुछ कुछ लगता बेगाना,
तू है इक सपना पलता हुआ आँखों में,
बनता जा रहा धीरे धीरे अफसाना,
मेरे दिल के एहसासों में,
बिखरता हौले हौले,
दिल गुनगुनाता रहे प्यार का तराना,
तुझे महसूस किया कभी चांद की चादनी में
कभी सुबह की खामोश रागिनी में,
मेरी खामोशियों में टहलती है तेरी यादें,
मेरे ख्वाबों में भटकता हुआ तेरा तराना,
तुम बने रहो-मेरे लिये
दोस्त-रहनुमां और ईश्वर का वरदान,
मैं बनी रहूगीं-तुम्हारे लिये,
तपस्या-मुक्ति और ये सारा जहां।।।