तू और तेरी इबादत
तू और तेरी इबादत, सहारा है मेरा ।
भवसागर के पार तू, किनारा है मेरा।।
हर हाल में हो जीत, ये नारा है मेरा ।
एक ताल बहर गीत, ये इशारा है मेरा।।
कुबूल दुआ तेरी , हिफाजत करता मेरी।
तेरा खुदा है वो , तू खुदा प्यारा है मेरा।।
कायनात दिलाएगी , हौंसला देख मंजिल मेरी,
अभी तो हुआ जवां , हौसला कहाँ हारा है मेरा।।
तू रंग भरते जा ख़्वाबों में , “जय” मेरे,
फिर जमीं से आसमां , जहाँ सारा है मेरा।।
संतोष बरमैया “जय”
कुरई, सिवनी, म.प्र.